Date: 15/10/2025 Wednesday ABOUT US ADVERTISE WITH US Contact Us

95 साल से किसी भी भारतीय वैज्ञानिक को नहीं मिला नोबेल पुरस्कार
 
 
अर्थाभाव में नौकरशाही, शोध क्षमताओं के विकास में बाधाओं के कारण भारत पीछे

10/10/2025 2:54:10 PM IST

45
कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
New Delhi  : भारत में काम करने वाले किसी वैज्ञानिक को फिजिक्स, केमिस्ट्री या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार मिले अब 95 साल हो गए हैं। 1930 में सी वी रमन को फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार मिला था, जो आज तक भारत में काम करने वाले किसी वैज्ञानिक को मिला एकमात्र सम्मान है। इसके बाद हरगोविंद खुराना (1968, मेडिसिन), सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (1983, फिजिक्स) और वेंकटरमन रामकृष्णन (2009, केमिस्ट्री) ने यह पुरस्कार जीता था, लेकिन ये सभी अपने काम के समय भारत से बाहर रहते थे और भारतीय नागरिक नहीं थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वैज्ञानिक और शोध क्षमताओं के विकास में कई बाधाएं आती हैं। मूलभूत रिसर्च पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता, सरकारी फंडिंग कम है और नौकरशाही के कारण काम धीमा होता है। निजी क्षेत्र में रिसर्च के लिए प्रोत्साहन और अवसर सीमित है। विश्वविद्यालयों में शोध क्षमता कमजोर है और जनसंख्या के अनुपात में शोधकर्ताओं की संख्या वैश्विक औसत से पांच गुना कम है। यही कारण है कि भारत में नोबेल पुरस्कार के लिए योग्य वैज्ञानिकों का समूह बहुत छोटा है। भारत से कई वैज्ञानिकों को नोबेल के लिए नॉमिनेट किया गया, लेकिन पुरस्कार नहीं मिला। मेघनाद साहा, होमी भाभा और सत्येंद्रनाथ बोस को फिजिक्स में, जीएन रामचंद्रन और टी शेषाद्रि को केमिस्ट्री में और उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी को मेडिसिन में नामांकित किया गया। जगदीश चंद्र बोस और के एस कृष्णन जैसे वैज्ञानिक अपने अहम योगदान के बावजूद वंचित रहे। ईसीजी सुदर्शन को 1979 और 2005 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से दो बार वंचित रखा गया। सीएनआर राव के सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री में योगदान को भी नोबेल योग्य माना, लेकिन उन्हें अब तक यह सम्मान नहीं मिला है।वैज्ञानिक पुरस्कारों में अमेरिका और यूरोप का दबदबा ज्यादा रहा है। उत्तरी अमेरिका और यूरोप के अलावा केवल नौ देशों के शोधकर्ताओं ने विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीते हैं। जापान ने 21 पुरस्कार जीतकर एशिया में सबसे ज्यादा जीते हैं। अमेरिका और यूरोप में मजबूत रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय सहयोग और बेहतर इको-सिस्टम के कारण वहां के वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार जीतने में सफलता मिलती है।भारत के वैज्ञानिकों को सम्मान नहीं मिलने का कारण केवल पुरस्कार प्रणाली नहीं है। अनुसंधान के लिए फंडिंग, बुनियादी ढांचा और सरकारी समर्थन की कमी ने वैज्ञानिकों के काम को पूरी तरह विकसित होने से रोका है। भविष्य में भारत के वैज्ञानिकों की नोबेल जीत मुख्य रूप से उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा और जुगाड़ पर निर्भर रहेगी, न कि सिस्टम के समर्थन पर।
 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क