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समय पर आ गया मानसून धान उत्पादन में बेहतर लाभ की बनी गुंजाइश ,दलहन और तिलहन पर क्या है सुझाव कृषि वैज्ञानिकों का

6/17/2025 5:58:16 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण झारखंड की धरती पर काला हीरा उगलने वाला झारखंड की राजस्व देने वाली महत्वपूर्ण धरती धनबाद कृषि के क्षेत्र में भी पीछे नहीं है बशर्ते यहां के किसान खेती के प्रति सजग हो जाए झारखंड सहित धनबाद के लिए धान की एक मुख्य फसल है और पिछले 5 साल से धान उत्पादन में आ रही गिरावट किसानों के लिए चिंता का विषय है लेकिन ऐसा नहीं है कि इस कम या रोक नहीं जा सकता सिर्फ इसके प्रति सजगता की जरूरत है।
 
 
बलियापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ राजीव कुमार से बातचीत करने पर किसी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई पेश  है इस पर डॉक्टर राजीव से बातचीत का अंश डॉ राजीव ने बताया की मौसम विभाग का अनुमान बिल्कुल सही निकला और झारखंड सहित धनबाद में भी मानसून का असर दिखने लगा है। पहले ही दिन धनबाद व  बोकारो में वर्षा ठीक-ठाक हुई है तथा आगे इसके अच्छे संकेत मिल रहे हैं। कृषिकों का मानना है की रोहिणी नक्षत्र में वर्षा का आना धान के लिए सोने पर सुहागा जैसा है। लेकिन धान उत्पादन में सबसे जरूरी धान रोपाई और बिचड़ा डालने में समय का ख्याल रखना । क्योंकि इसका प्रतिकूल असर उत्पादन पर पड़  सकता है। और यही असर पिछले दिनों धान उत्पादन में गिरावट की भी रही। धान उत्पादन में सबसे महत्वपूर्ण है। बिचड़ा समय पर डालें और ख्याल रखें की रोपाई भी समय पर हो अर्थात धान रोपाई के समय बिचड़ा 15 से 21 दिन बीच होना चाहिए उसे अपना बिचड़ा न डाले।लेकिन ऐसा देखा गया है कि  बिचड़ा 50 से 55 दिन पुराना हो जाता है और उसे भी डाल दिया जाता है। स्वाभाविक रूप से उसीका असर अब तक धान के उत्पादन पर पड़ता रहा है। पिछले वर्षों में  धान उत्पादन में गिरावट की एक मूल वजह यह भी रही। याद रहे की धान  का भी जितना भी बिचड़ा डालना  है उसे  7 से 10 दिनों के अंतराल में तीन बार में थोड़ी-थोड़ी करके डालें।  याद रहे कि बिचड़ा का  उम्र किसी भी स्थिति में 21 दिन से ज्यादा न होने पाए तथा थोड़ी-थोड़ी करके हीं रोपाई करें। इस दौरान खाद संतुलित स्थिति में डालें तथा नाइट्रोजन एवं फास्फोरस के आलावा पोटाश का भी उपयोग करें। झारखंड में खरीफ मौसम में धान, मकई, मड़वा ,ज्वार , अरहर ,मुंग ,उड़द , मूंगफली ,तिल तथा सोयाबीन लगाने का समय अभी उचित है। अगर यह सब समय पर नहीं लगाएं तो अगस्त अंत या सितम्बर में कृषक कुल्थी एवं सरगुजा की खेती भी कर सकतें हैं।   
 
दलहन और तिलहन के प्रति भी हो जाए तैयार :
के वि के बलियापुर से  कृषि वैज्ञानिको  का मानना है की जो कृषक दलहन और तिलहन उत्पादन के प्रति इच्छुक है वह भी तैयार हो जाए दलहन में अरहर, मूंग और उड़द आदि के लिए अभी से तैयार होकर उस पर काम शुरू कर दें।
 
सब्जी उत्पादन के लिए  खरीफ में क्या है आवश्यक :
खरीफ मौसम में सब्जी के उत्पादन के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में लत्तर वाली सब्जियां मतलब लौकी,  खीरा ,झींगरी सहित अन्य का उत्पादन फायदामंद हो सकती  है। लेकिन ख्याल रहे कि इसके लिए खूंटा  स्टॉकिंग की व्यवस्था आवश्य रखें ताकि उससे फसल को नुकसान न पहुंचे। साथ ही भिंडी, बैगन व अन्य सब्जियां भी बेड के आधार पर लगायें ताकि उस पर पानी का असर न पड़े। क्योंकि इससे उन्हें क्षति पहुंच सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार मानसून बिल्कुल समय पर आ गया है और कृषक इसका अधिक से अधिक लाभ उठाएं यही हम विशेषज्ञों का सुझाव रहेगा।
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क