Date: 15/10/2025 Wednesday
ABOUT US
ADVERTISE WITH US
Contact Us
Koylanchal Live
बड़ी खबरें
देश प्रदेश
राज्य
MUMBAI
महाराष्ट्र
राजस्थान
गुजरात
उत्तराखंड
पश्चिम बंगाल
तमिलनाडु
ओडिशा
पंजाब
झारखण्ड
उत्तर प्रदेश
जम्मू कश्मीर
दिल्ली
आंध्र प्रदेश
बिहार
छत्तीसगढ़
MADHYA PRADESH
राजधानी
रांची
पटना
लखनऊ
राजनीति
अपराध जगत
स्पोर्ट्स
वर्ल्ड न्यूज़
बिज़नेस
इंटरटेनमेंट
कोयलांचल लाइव TV
फोटो गैलरी
पूरे श्रद्धाभाव से मनाई गई जामताड़ा में हूल दिवस, प्रशासन की भी रही अहम भूमिका
6/30/2025 3:46:48 PM IST
143
कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Jamtada :
आदिवासियों का महत्वपूर्ण पर्व हूल दिवस आज जामताड़ा में पूरे श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। मौके पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी रवि आनंद सहित उप विकास आयुक्त निरंजन कुमार, परियोजना निदेशक ITDA जुगनू मिंज, अनुमंडल पदाधिकारी अनंत कुमार सहित अन्य ने शहादत दिवस के अवसर पर गांधी मैदान जामताड़ा स्थित सिदो कान्हो के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हूल शब्द का यही अर्थ निकाल सकते हैं कि समाज में जितनी भी कुरीतियां हैं, उनको जड़ से समाप्त करने के लिए हमलोगों को हूल करना होगा। सामाजिक कुरीतियां मसलन नशा हो, दहेज हो, बाल विवाह हो या अन्य सभी कुरीतियों को किस प्रकार हमलोग दूर करें। इन्हें किस प्रकार दूर करने के लिए आवाज उठाएं, इसे समझना होगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार संताल हूल के महानायकों सिदो कान्हो आदि ने अंग्रेजों को 1855 में दांत खट्टे किए, कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई, अपना बलिदान दिया। उनके बलिदानों को याद करते हुए हम लोगों को यह संकल्प लेना होगा कि समाज से कुरीतियां दूर हो, हमारा समाज विकासशील बन सके। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ 30 जून, 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने पहली बार विद्रोह का बिगुल फूंका। इस दिन सैकड़ों गांवों के हजारों की संख्या में लोग साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव पहुंचकर अंग्रेजों से आमने-सामने की जंग का एलान कर दिया। सिदो-कान्हो और चांद-भैरव के नेतृत्व में तब संथालों ने मालगुजारी नहीं देने और अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो का जोर-शोर से एलान किया। अंग्रेजों ने तब संथाल विद्रोहियों से घबराकर उनका दमन प्रारंभ किया। इसकी प्रतिक्रिया में आदिवासियों ने अंग्रेजी सरकार की ओर से आए जमींदारों और सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया। विद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। चांद और भैरव को अंग्रेजों ने मार डाला। इसके बाद सिद्धो और कान्हो को भोगनाडीह में ही पेड़ से लटकाकर अगस्त 1855 को फांसी दे दी गई। संताल हूल को आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध पहला विद्रोह माना जाता है। वहीं उन्होंने कहा कि सिदो कान्हू, चांद भैरव एवं अन्य सभी अमर सेनानियों के आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों की बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके बलिदान की अमर गाथा से हम सभी को प्रेरणा मिलती है।
जामताड़ा से कोयलांचल लाइव के लिए निशिकांत मिस्त्री की रिपोर्ट
Disclaimer:
Tags:
0 comments. Be the first to comment.
सम्बंधित खबरें
#
कन्नड़ फिल्म अभिनेता किच्चा सुदीप ने गया जी में किया अपनी मां व पूर्वजों का पिंडदान
#
Rekha's Birthday:इतिहास की सबसे बेहतरीन अदाकाराओं में से एक मानी जाने वाली रेखा,पहली फिल्म के लिए कितने रुपए लिए थी...
#
Nayanthara: 1200 करोड़ी फिल्म की एक्ट्रेस पर आया अपडेट,देवी बन 4 साल बाद.
#
मुंगेरवासियों के लिए इस रावण दहन रहेगा खास , रावण दहन की तैयारी पूरी
#
धनुष-कृति की फिल्म 'Tere Ishk Mein' का इंटेंस टीजर रिलीज, दिखा प्यार और बदले का जुनून
ट्रेंडिंग न्यूज़
#
भतीजे ने चाचा को पेट में मार चाकू, इलाज के लिए तुरंत रेफर किया गया
#
बांग्लादेश में बच्चियों के लिए दर्दनाक गुजर रहा 2025,यौन शोषण के मामले 75 प्रतिशत बढ़े
#
यातायात नियमों के प्रति जागरूकता पर विशेष सड़क सुरक्षा अभियान शुरू, मिल रही है वाहनों से जमकर जुर्मना
#
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ एक निजी कार्यक्रम में भाग लेने जमशेदपुर पहुंचे, भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया स्वागत
#
भारत बनाम साउथ कोरिया, आज हॉकी एशिया कप 2025 का फाइनल मुकाबला