Date: 03/09/2025 Wednesday
ABOUT US
ADVERTISE WITH US
Contact Us
Koylanchal Live
बड़ी खबरें
देश प्रदेश
राज्य
MUMBAI
महाराष्ट्र
राजस्थान
गुजरात
उत्तराखंड
पश्चिम बंगाल
तमिलनाडु
ओडिशा
पंजाब
झारखण्ड
उत्तर प्रदेश
जम्मू कश्मीर
दिल्ली
आंध्र प्रदेश
बिहार
छत्तीसगढ़
MADHYA PRADESH
राजधानी
रांची
पटना
लखनऊ
राजनीति
अपराध जगत
स्पोर्ट्स
वर्ल्ड न्यूज़
बिज़नेस
इंटरटेनमेंट
कोयलांचल लाइव TV
फोटो गैलरी
झारखंड सरकार की शिक्षा से जुड़े तीन विधेयकों पर आइसा ने प्रेस वार्ता करके की संशोधन मांग
9/1/2025 7:02:19 PM IST
41
कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad :
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) द्वारा ने झारखंड सरकार द्वारा पूरक मानसून सत्र में पारित शिक्षा से जुड़े तीन विधेयकों पर संशोधन की मांग को लेकर आज एल सी रोड स्थित एक भवन में प्रेस वार्ता की ।उन्होंने बताया कि शिक्षा से संबंधित तीनों विधेयक झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025, झारखंड राज्य कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियम विधेयक 2025, व्यावसायिक शिक्षण संस्थान विधेयक, 2025 विधानसभा द्वारा पारित किए जा चुके हैं। इन विधेयकों का आइसा स्वागत करता है, क्योंकि झारखंड जैसे शैक्षणिक रूप से पिछड़े राज्य में विश्वविद्यालय प्रवेश से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति, कॉलेजों में प्रधानाचार्य और विश्वविद्यालयों में कुलपति, रजिस्ट्रार तथा अन्य पदों पर झारखंडी लोगों को अधिक अवसर मिलने चाहिए। इस दृष्टि से यह पहल सराहनीय है। लेकिन झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 के कुछ प्रावधान, विशेषकर छात्रसंघ और छात्र परिषद से जुड़े नियम, गंभीर चिंता का विषय हैं। आइसा का मानना है कि ये प्रावधान छात्रों के संगठन से जुड़ने के संवैधानिक अधिकार का हनन करते हैं और उनकी आलोचनात्मक तथा बौद्धिक सोच पर प्रहार करते हैं।विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विश्वविद्यालय में केवल एक छात्रसंघ होगा, जो किसी भी क्षेत्रीय, राज्य स्तरीय अथवा राष्ट्रीय राजनीतिक गतिविधि में संलग्न नहीं होगा। यह प्रावधान छात्रों के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत अधिकांश छात्र 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के होते हैं, ऐसे में उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया से दूर रखना उनकी समझ और भागीदारी को कमजोर करेगा। प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष, सचिव, एक महिला प्रतिनिधि तथा अनुसूचित जाति/जनजाति/विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह/अन्य पिछड़ा वर्ग से एक प्रतिनिधि निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाएंगे। ऐसे में आम छात्रों की भूमिका नगण्य हो जाएगी। “निर्वाचक मंडल” शब्द की परिभाषा भी अस्पष्ट है। क्या यह मंडल वास्तविक छात्र प्रतिनिधियों का चयन करेगा? यदि यह केवल पूर्णकालिक अध्ययनरत छात्रों तक सीमित रहेगा, तो यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार परिभाषित श्रेणियों (जैसे सेल्फ-फाइनेंस कोर्स, वोकेशनल कोर्स, मैनेजमेंट, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स आदि) के छात्रों के अधिकारों को सीमित कर सकता है। महिला और आरक्षित समुदायों के प्रतिनिधियों को अध्यक्ष/सचिव पदों में से किसी एक पर आरक्षण देने का प्रावधान सराहनीय है। लेकिन चार वर्षों के इंतजार के बजाय हर वर्ष इन समुदायों को अवसर मिलना चाहिए। इसी तरह प्रत्येक विभाग से चुने जाने वाले प्रतिनिधियों की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए। क्या वे केवल विभागीय मुद्दों तक सीमित रहेंगे या विश्वविद्यालय स्तर पर भी अपनी बात रख पाएंगे। इसके अलावा, NSS, NCC और खेलकूद से जुड़े छात्रों को विश्वविद्यालय में कुलपति और कॉलेज में प्राचार्य द्वारा नामित किए जाने का प्रावधान उनके वोटिंग अधिकारों पर चोट करता है। प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि प्रथम बैठक कुलपति की अध्यक्षता में होगी। जबकि यदि छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना गया है, तो वही यह जिम्मेदारी संभालने में सक्षम है। यह कुलपति को अधिकार सौंपना छात्रों के अधिकारों का हनन है। साथ ही यह भी चिंता है कि चुनाव का वित्तीय भार छात्रों पर थोपने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा। सबसे चिंताजनक प्रावधान यह है कि यदि कोई छात्र किसी भी राजनीतिक गतिविधि, प्रदर्शन या विचार-विमर्श में भाग लेता है, तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई कर उम्मीदवारी रद्द की जा सकती है। यह नियम छात्रों की लोकतांत्रिक सहभागिता और राजनीतिक परिपक्वता पर गहरा आघात है। अंन्त छात्रसंघ बैठकों के लिए “एक तिहाई कोरम” की शर्त आंदोलन और संघर्षों को कुचलने का माध्यम बन सकती है।
शिक्षा से जुड़े झारखंड राज्य कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियम विधेयक 2025, जहां बड़े कोचिंग संस्थानों को बढ़ावा देता है, वहीं राज्य और केंद्र सरकार की रोजगार देने में विफलता की स्थिति में जीविकोपार्जन के लिए चल रहे छोटे कोचिंग संस्थानों पर 5 लाख रुपये की बैंक गारंटी की शर्त लगाना उनके लिए अतिरिक्त बोझ साबित होगा। यह बोझ अंततः सीधे-सीधे छात्रों से वसूला जाएगा। इसी प्रकार व्यावसायिक शिक्षण संस्थान विधेयक 2025 भी कई मायनों में मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट जैसे कोर्स को आम छात्रों के लिए और महंगा बना देगा। इन संस्थानों पर कॉर्पोरेट का दबदबा बढ़ जाएगा, जिससे आम छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित होने की कगार पर पहुँच जाएंगे।
प्रेस वार्ता में All India students association (AISA),झारखंड राज्य सचिव त्रिलोकीनाथ ,जिलाप्रभारी रितेश मिश्रा , ने संबोधित किया मौके पर आइसा धनबाद लॉ कॉलेज की अध्यक्ष पायल चौधरी, सचिव वारिस खान,जिला समिति से दीपक महतो,स्नेहा कुमारी ,पार्वती कुमारी,चेतन नारायण आयुषी कुमारी आदि छत्रगण थे उपस्थित थें।
कोयलांचल लाइव डेस्क
Disclaimer:
Tags:
0 comments. Be the first to comment.
सम्बंधित खबरें
#
कुढ़नी विधानसभा : जन सुराज, महागठबंधन सहित एनडीए को टक्कर, जीत की राह आसान नहीं
#
कांग्रेस पार्टी के संगठन सृजन अभियान में धनबाद जिला अध्यक्ष के 27 दावेदारों ने पर्चा दाखिल किया
#
नहीं मिला मेरे पति को न्याय , यह न्यायलय नहीं अन्यायलय है ,अब जाउंगी सर्वोच्च न्यायालय
#
नेपाली मूल की बिहार में 3 लाख बहु समेत अन्य मतदाताओं को निर्वाचन आयोग की नोटिस
#
धनबाद बार ऐसोसिएशन चुनाव परिणाम घोषित , राधेे श्याम गोस्वामी अध्यक्ष जितेंद्र कुमार महासचिव बनें
ट्रेंडिंग न्यूज़
#
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, नई अदालतें खोलने को कहा
#
साइबर अपराध में पुलिस ने तीन लोगो को किया हिरासत में, आसूचना पर हुई गिरफ्तारी
#
'Saiyaara’ के खुमार में दिखी पुलिस,अनोखे अंदाज़ में दे रही आशिकों को चेतावनी
#
लाखों सुनहरे रंग के चमकीले अंडों की हुई खोज
#
"वोटर अधिकार यात्रा" का कारवां औरंगाबाद पहुँचा, राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और एनडीए पर 'वोट चोरी' के लगाए आरोप