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बिहार में चुनाव तिथि की घोषणा के साथ हीं शुरू हो चुकी है चुनावी कसरत की तैयारी
 
किस गठबंधन का क्या होगा दम , जनता भी उंगली पर गिर रही है काम
 

7/2/2025 5:57:43 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : बिहार में चुनाव की घोषणा हो चुकी है और इसके साथ ही चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की चहलकदमी तेज हो गई है अर्थात चुनावी कसरत की तैयारी जोर पकड़ ली है। बिहार में एक बार फिर एनडीए की वापसी को लेकर जोरदार कयास लगाए जा रहे हैं। वैसे इंडिया गठबंधन भी इस बार चुनावी दंगल में बिहार के लिए एंडी चोटी का पसीना एक की हुई है। बिहार में राजनीति के पुराने खिलाड़ी रहे पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का परिवार ने जातीय समीकरण के आधार पर तथा अन्य गतिविधियों के जरिए पूरी तैयारी में है । लेकिन उनके परिवार के पुराने इतिहास को लेकर अभी तक जनता उनकी मिन्नतों को स्वीकार करने के पक्ष में हो चुकी है यह अभी दावे के साथ कहना जल्दबाजी होगी । रही बात इंडिया गठबंधन के मुख्य दल कांग्रेस की तो वह भी पूरी तैयारी में है लेकिन मौजूदा परिपेक्ष्य में तथा जातीय समीकरण के आधार पर वह कितना गुल खिला पाती है यह अब तक स्पष्ट नहीं हो रहा है । एक समय था जब बिहार में कांग्रेस की झंडा बुलंद हुआ करती थी तथा लोग उसके दीवाने थे लेकिन समय बदल चुका है तथा कांग्रेस की भी अब वह स्थिति नहीं रही । कांग्रेस में सबसे अधिक अविश्वसनियता नेतृत्व को लेकर है। बिहार की जनता को मौजूदा माहौल में कांग्रेस पर विश्वास जमेगा इसके लिए पार्टी हर संभव तमाम  कोशिश कर रही है तथा गठबंधन के आधार पर तोड़ मोड की राजनीति में भिड़ गई है।  इधर वामपंथी दल का रुख कितना इंडिया गठबंधन के लिए लाभप्रद होगा या वह स्वतंत्र लड़ेंगे इसकी अभी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है। भोजपुरी में एक कहावत है कि " मुंश मोटईहें, मोट है लोढ़ा  होईहें " एनडीए गठबंधन के आला नेता कुछ इसी प्रकार की टिप्पणियां दे रहे हैं। वैसे टिप्पणियां मायने नहीं रखती ,मायने रखती है सत्ता में रहने के दौरान सत्ताधारी गठबंधन की उपलब्धियां और उसकी कार्यशैली।  बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतिश  कुमार अपने शासन को सुशासन होने का दवा ठोक रहे हैं। लेकिन वह शासन कितना दमदार है यह तो आगामी बिहार विधानसभा का चुनाव परिणाम ही बतायेगा। अब चुनाव सिर्फ जातीय आधार पर परिणाम दिखाते हैं कम से कम अब यह कहना बेमानी होगी पिछले दिनों हुए कई चुनाव परिणाम इस बात के द्योतक है। ले देकर  बिहार में चुनावी तिथि की घोषणा के साथ फिर राजनीतिक गतिविधियां  केंद्र से लेकर राज्य तक सक्रिय हो गई है वैसे एनडीए भी फिर से अपनी छाप स्थापित करने के लिए यहां जदयू गठबंधन को मजबूत करने के लिए न केवल तमाम कोशिश से कर रही है। लेकिन आगामी बिहार सरकार के लिए चुनावी दंगल में परिणामी ऊंट किस करवट बैठेगा अभी तक यह सिर्फ अनुमान है। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार बिहार में इस बार भी पुरानी स्थिति बहाल रहने की संभावनाएं अधिक दिख रही है।
 
 
 
इधर बिहार जातीय कार्ड खेलने के आधार पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने न केवल लालू यादव से बल्की बिहार के तमाम यादव समाज से पंगा लेकर  अपनी जुबानी कुश्ती कर दी है।  चुनाव की तिथि घोषणा के साथ एनडीए अपने तमाम घटक दलों को लेकर चुनावी दंगल में उतरने के लिए फील्डिंग और बैटिंग का अनुमान लगना शुरू कर दिया है और क्षेत्रीय दल भी कामोवेश उसी स्थिति में है। इस बार जनता भी चुनाव परिणाम को लेकर उंगलियां गिनना शुरू कर दी है। कि किस गठबंधन का अब तक क्या रही दम उंगलियों पर जनता गिन रही है उनके काम और मौजूदा स्थिति।  
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क