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नहीं थी जरूरत इतनी जल्दी बाजी में विश्वविद्यालय विधेयक 2025 की
जानकारों की मिली जुली प्रतिक्रिया
9/4/2025 4:46:01 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad :
झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2025 को लेकर अब विश्वविद्यालय में भी नियुक्ति और अन्य प्रक्रियाओं का उपयोग झारखंड के मुख्यमंत्री की ओर से किया जाएगा। संबंधित प्रक्रिया के लागू होने से पहले ही इस पर विरोध की तैयारी शुरू हो चुकी है इस मामले में कोयलांचल लाइव ने कुछ जानकारी शिक्षा सूत्रों से बातचीत कर सही स्थिति जानने की कोशिश की। संबंधित मामले में मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई है लेकिन अधिकांश ने मौजूदा माहौल में इस प्रक्रिया को असमय उठाने से परेशानी को निमंत्रण देना बताया है।
मामले में शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्ति व्याख्याता अर्थशास्त्र के जानकार ने कहा कि झारखंड में समस्या की कमी नहीं सरकार जो समस्या है पहले उसी का निदान तो करें। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में जिस संवैधानिक प्रक्रिया के तहत सब चल रहा है उसे फिजूल में छेड़ने से परेशानी बढ़ेगी। बाकी सरकार ने किस सोच के साथ इस विधेयक को लायी है उस पर मुझे टिप्पणी नहीं करनी।
सेवानिवृत्ति व्याख्याता पूर्व प्राचार्य प्रो डॉ एसके एल दास .
संबंधित प्रक्रिया को सरकार ने किस सोच के साथ लाया है यही वही जाने। फिर भी फिर भी कोई तो सोच होगी ही तथा संबंधित प्रक्रिया से हो सकता है की शैक्षणिक व्यवस्था में कोई सुधार हो जाए लेकिन मेरी नजर में अभी तुरंत इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
पंकज राय,प्रभारी निदेशक बी आई टी सिंदरी .
बिहार झारखंड सरकार के पास काम की कमी नहीं है ऐसे में अचानक इस विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी भगवान जाने। संबंधित प्रक्रिया एक संवैधानिक नियम है जिसमें छेड़छाड़ सरकार का विशेष अधिकार है उसे पर कोई टिप्पणी नहीं करनी लेकिन फिलहाल इसकी जरूरत नहीं थी।
डॉ बीके सिन्हा, सेवानिवृत प्राचार्य पीके राय कॉलेज धनबाद .
विश्वविद्यालय का अधिकार विश्वविद्यालय के हाथ में होना चाहिए ना कि सरकार के न केवल झारखंड बल्कि कोई भी सरकार संबंधित मामले में राशि तो देती है लेकिन संवैधानिक प्रक्रिया के तहत इसके लिए जो नियमावली बनी है फिलहाल उसमें छेड़छाड़ करने से शैक्षणिक कार्य शैली प्रभावित होगी।
बी एन सिंह, व्याख्याता विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद .
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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