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झारखंड में नए पॉलिटेक्निक को पीपीपी में उतारना कहीं कोई ठगी तो नहीं ?
4/17/2025 3:57:05 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad :
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में झारखंड को फिर से ठगने की व्यवस्था हो रही है। स्थिति यह है कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा के लिए जो नए सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान खुले हैं उनकी व्यवस्था अब तक कारगर नहीं है। सिर्फ भवन खड़ा करना संस्थान स्थापित करने के नाम पर छलावा है। एआईसीटीई की निर्णय नए तकनीकी संस्थान के लिए क्या हैं। अगर कोई संस्थान उसका पालन न करे तो उसकी संचालन का कोई औचित्य नहीं। इस आकलन में एनबीए की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
क्या है एनबीए :
राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) की स्थापना वर्ष 1994 में एआईसीटीई अधिनियम की धारा 10 (यू) के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, फार्मेसी और वास्तुकला आदि में डिप्लोमा से स्नातकोत्तर स्तर तक तकनीकी संस्थानों द्वारा पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों की गुणात्मक क्षमता का आकलन करना था।
क्या है अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) का फैसला :
देश के जो भी संस्थान इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, डिप्लोमा समेत अन्य कोर्सेज संचालित कर रहे हैं, उन्हें सत्र 2024-25 में संबद्धता (मान्यता) तभी मिलेगी, जब उनके कम से कम 60 फीसदी प्रोग्राम एनबीए से मंजूर होंगे। यह गणना एलीजिबल कोर्स को लेकर ही होगी। अगर AICTE अपने इस फैसले पर कायम रहता है तो स्वभाविक रूप से बहुत बड़ी संख्या में झारखंड सहित देश के शैक्षिक संस्थान प्रभावित होंगे।
एनबीए को नजरअंदाज क्यों :
वैसे तमाम भवन जो संस्थान के नाम पर स्थापित हैं। उन पर तब तक के लिए ताला लग जाएगा जब तक वे अपने को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के तराजू पर खरें नहीं उतरेंगे। ऐसा होने पर वह सरकार कटघरे में आ जायेगी। जिसने बिना तैयारी के उसका संचालन शुरू कराया। झारखंड के कई तकनीकी संस्थान इसके उदाहरण है। उक्त संस्थान छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है । ऐसे संस्थानों को तत्काल प्रभाव से बंद कर देना चाहिए। ऐसे राज्य सरकारों का मकशद है कि एनबीए को बदनाम करो। उसे आने हीं नहीं दो।
एक महत्वपूर्ण खबर तकनीकी शिक्षण के क्षेत्र में :
तकनीकी शिक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खबर यह भी है कि झारखंड में जो भी नए सरकारी पॉलिटेक्निक भवन बनकर तैयार है। इसका संचालन करने का महत्वपूर्ण निर्णय जुलाई तक हो जाएगा। यह कहना झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीके सिंह का है। उन्होंने बताया कि संबंधित मामले में उच्च स्तर पर गंभीरतापूर्वक बात चल रही है। उम्मीद है कि इस पर जुलाई से पहले निर्णय आ जाएगा । साथ में यह भी बात चल रही है की कुछ तकनीकी संस्थानों को पीपीपी मोड पर भी लिया जा सकता है।
पीपीपी मोड की गुणवत्ता का भी आकलन हो :
किसी भी तकनीकी संस्थान को पीपीपी मोड में देने पर किया जाने वाला निर्णय से पहले यह भी आकलन जरूरी है कि जो संस्थान पीपीपी मोड में अब तक स्थापित है। उसकी स्थिति क्या है ? उसकी कार्य शैली पर आकलन बेहद जरूरी है। क्योंकि अगर वह सफल नहीं है तथा आर्थिक नुकसान की ओर जा रहा है तो भविष्य में फिर से पीपीपी मोड को बढ़ावा देना आ बैल मुझे मारा वाली स्थित है।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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