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Jolly LLB 3: ट्रेलर लॉन्च पर कानपुर- मेरठ की जंग,जनता करेगी अंतिम फैसला तय

9/2/2025 1:17:21 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Edited By - Saba Afrin 
 
Jolly LLB 3 Trailer Launch Place: बॉलीवुड फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में क्षेत्रीय बोलियों और स्थानीय रंग-ढंग का इस्तेमाल अब आम हो गया है. दर्शक भी उन कहानियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, जिनमें उनका अपना परिवेश और भाषा झलकती हो. उत्तर भारत की बोलियों में अगर किसी बोली ने सबसे ज्यादा लोकप्रियता पाई है तो वह है कनपुरिया अंदाज. चाहे बात ‘बंटी और बबली’ की हो, ‘तनु वेड्स मनु की या फिर ‘बाला’ जैसी फिल्मों की- हर जगह कानपुर की बोली और अंदाज ने अलग छाप छोड़ी है. वहीं छोटे पर्दे पर ‘भाभी जी घर पर हैं’ धारावाहिक ने तो कानपुर और इसकी भाषा को देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक पहुंचा दिया. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अन्नू अवस्थी के कनपुरिया अंदाज ने उनको टीवी की दुनिया तक पहुंचा दिया. स्व राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी कानपुर के अंदाज की वजह से ही मशहूर हुई थी। 
अब इस कड़ी में जॉली एलएलबी-3 का नाम भी जुड़ गया है. फिल्म के ट्रेलर लॉन्च को लेकर सोशल मीडिया पर जारी हुए वीडियो ने एक नई 
बहस छेड़ दी है. इस बार मामला सिर्फ फिल्म तक सीमित नहीं है, बल्कि कानपुर और मेरठ की रंगबाजी ने भी खूब सुर्खियां बटोर ली हैं। 
 
अक्षय कुमार बनाम अरशद वारसी: कानपुर या मेरठ?
सोमवार को अभिनेता अक्षय कुमार और अरशद वारसी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें दोनों अपनी-अपनी जगह की वकालत करते नजर आ रहे हैं. अक्षय कुमार जहां पूरे जोश से कानपुर की खासियत गिना रहे हैं, वहीं अरशद वारसी ने मेरठ का पक्ष थाम रखा है.
 
अक्षय कुमार ने कानपुर की मशहूर मिठाइयों और खानपान का जिक्र करते हुए कहा- ठग्गू के लड्डू, बदनाम कुल्फी, सुल्तानी दाल, मट्ठा, चाट और इमरती का असली स्वाद चखना है तो कानपुर आना ही पड़ेगा. उन्होंने कोर्टरूम के अंदर कानपुर की विशेषताओं को इस अंदाज में गिनाया कि दर्शक मुस्कुराए बिना न रह सके. यही नहीं, अक्षय ने कानपुर के लेदर उद्योग और यहां के लोगों की “डिस्काउंट मांगने की आदत” पर भी हल्का-फुल्का कटाक्ष किया. दूसरी ओर, अरशद वारसी ने मेरठ के साख का हवाला देते हुए अपने शहर को बेहतर बताया. दोनों कलाकारों की यह नोकझोंक सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है.
 
जज त्रिपाठी फंसे, जनता बनेगी निर्णायक
फिल्म में जज त्रिपाठी का किरदार निभा रहे सौरभ शुक्ला इस बहस के बीच बुरी तरह फंस जाते हैं. अक्षय कुमार उर्फ जॉली मिश्रा चीख-चीखकर कह रहे हैं कि कमाल का कानपुर, जबकि अरशद वारसी उर्फ जॉली त्यागी मेरठ की पैरवी में अडिग खड़े हैं. अंततः जज त्रिपाठी यह कहकर हथियार डाल देते हैं कि अब फैसला जनता करेगी. यानी फिल्म का ट्रेलर कहां लॉन्च होगा, यह दर्शकों की वोटिंग से तय होना है.
 
एक्स अकाउंट पर बदले नाम
फिल्म की प्रमोशनल रणनीति भी उतनी ही मजेदार है. अक्षय कुमार ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट का नाम बदलकर ‘जॉली मिश्रा – असली जॉली फ्रॉम कानपुर’ कर लिया है, तो वहीं अरशद वारसी ने भी अपने अकाउंट का नाम बदलकर ‘जॉली त्यागी असली जॉली फ्रॉम मेरठ’ रख लिया है. हालांकि अरशद ने अपने अकाउंट से कोई वीडियो साझा नहीं किया है. फैंस का मानना है कि ट्रेलर लॉन्च कानपुर या मेरठ में ही होगा और दोनों सितारे वहां मौजूद रहेंगे। 
 
कानपुर की पहचान बनी बोली और ठाठ
कानपुर का जिक्र आते ही यहां का अल्हड़पन, हास्य और खानपान सामने आ जाता है. फिल्मों और धारावाहिकों में जब भी कनपुरिया अंदाज दिखाया गया, उसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला है. तनु वेड्स मनु की डायलॉग डिलीवरी से लेकर भाभी जी घर पर हैं की बोली तक-सबने साबित किया कि इस शहर का अंदाज सबसे जुदा है. यही कारण है कि फिल्म निर्माता अब बार-बार कानपुर को अपनी कहानियों का हिस्सा बना रहे हैं। 
 
कानपुर में हुई हैं कई फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग
कानपुर सिर्फ संवादों या बोलियों तक सीमित नहीं रहा है. पिछले एक दशक में यहां पर कई बड़ी फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग हो चुकी है. बंटी और बबली, बाला, तनु वेड्स मनु, मरुधर एक्सप्रेस, रात अकेली है, होटल मिलान, सूबेदार और बेईमान जैसी फिल्मों की शूटिंग शहर की गलियों और ऐतिहासिक लोकेशनों पर हुईं हैं. एचबीटीयू, जेके मंदिर, मॉल रोड, गुप्तार घाट, आनंद बाग और जाजमऊ का सिद्धनाथ घाट फिल्मकारों की पसंदीदा लोकेशन बन चुके हैं. यहां न सिर्फ मुख्य कलाकारों ने शूटिंग की बल्कि बड़ी संख्या में स्थानीय कलाकारों को भी बतौर जूनियर आर्टिस्ट और प्रोडक्शन टीम में काम करने का मौका मिला. इससे कई लोगों को रोजगार भी मिला। 
 
पर्यटन को मिल सकता है बढ़ावा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन शूटिंग लोकेशनों को बॉलीवुड थीम पर संवारा जाए तो कानपुर में पर्यटन की अपार संभावनाएं खुल सकती हैं. जिस तरह मुंबई और राजस्थान में फिल्म पर्यटन को बढ़ावा मिला है, उसी तरह कानपुर भी अपनी पहचान बना सकता है. यहां के ऐतिहासिक घाट, पुरानी इमारतें और बाजार शूटिंग के लिए स्वाभाविक रूप से उपयुक्त हैं.
 
जनता के हाथ में हथौड़ा
फिल्म निर्माताओं ने प्रमोशन के लिए जिस अंदाज को चुना है, उसने दर्शकों के बीच उत्सुकता और बढ़ा दी है. कानपुर और मेरठ की यह खींचतान अब सिर्फ सितारों तक सीमित नहीं रही है, आम लोग भी अपने-अपने शहर के पक्ष में सोशल मीडिया पर खुलकर राय दे रहे हैं. आखिरकार यह तय करना जनता के हाथ में है कि “जॉली एलएलबी-3” का ट्रेलर किस शहर में लॉन्च होगा. अभी तक के रुझान बताते हैं कि कानपुर और मेरठ की टक्कर जोरदार है और दोनों शहरों के फैंस किसी भी तरह पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. “जॉली एलएलबी-3” सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के दो बड़े शहरों की पहचान और स्वाभिमान की जंग बन गई है. एक तरफ कानपुर का अल्हड़पन और ठग्गू के लड्डू हैं, तो दूसरी तरफ मेरठ की शान और रंगबाजी. कौन जीतेगा यह मुकाबला?
 
कोयलांचल लाइव डेस्क