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Hindi Diwas 2025: बॉलीवुड सच में सिर्फ हिंदी सिनेमा है? इसे बनाने में और किन भाषाओं का है योगदान?
9/14/2025 12:55:07 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Hindi Diwas 2025:
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. पर जब बात हिंदी सिनेमा की आती है, तो आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है. शायद ज्यादातर लोग इसे हिंदी सिनेमा की जगह बॉलीवुड कहते हों. जो कि गलत भी नहीं है. क्योंकि बॉलीवुड को आमतौर पर हिंदी सिनेमा के रूप में ही जाना जाता है. बॉलीवुड शब्द ‘बॉम्बे’ और ‘हॉलीवुड’ का मिक्सचर है. ऐसे में इसे हिंदी सिनेमा के अलावा बॉलीवुड भी कहकर बुलाया जाता है. पर क्या सच में बॉलीवुड सिर्फ हिंदी सिनेमा है? बेशक इस सवाल का जवाब हर किसी के लिए अलग हो सकता है. पर बॉलीवुड सिर्फ हिंदी तक सीमित नहीं है. इसमें कई भाषाओं के साथ ही अलग-अलग संस्कृति का भी योगदान रहा है।
सालों से हिंदी फिल्मों ने दर्शकों को इम्प्रेस किया है. बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों का दांव खेला जाता है और वो सफल भी रहा है. पर फिल्मों में जिस तरह किसी एक्टर के किरदार को बदला जाता है. उसी तरह वहां की संस्कृति और भाषा को भी अपनाना पड़ता है, जो लगातार होता आया है और आगे भी होता ही रहेगा. आइए आपको समझाते हैं।
बॉलीवुड ही हिंदी सिनेमा? पर कैसे
”ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश, ब-हाल-ए-हिज्रां बेचारा दिल है”… यह लाइन 1985 की फिल्म ‘गुलामी’ के गाने ‘जिहाल-ए-मिस्किन’ की हैं. जिसे अमीर खुसरो ने 13वीं-14वीं सेंचुरी में लिखा था. पर बाद में गुलजार ने इससे इंस्पायर्ड होकर गाना लिखा. यह 80 के दशक का पॉपुलर गाना है, जिसका मतलब भी बहुत गहरा है. यह गाना फारसी और हिंदी का मिक्सचर है. इसलिए कहते हैं कि हिंदी सिनेमा में उर्दू का बहुत बड़ा योगदान रहा है. 1940-50 के दशक में कई फिल्मों के गाने उर्दू में लिखे जाते थे. क्योंकि यह उस समय की साहित्यिक और सांस्कृतिक भाषा थी. तो हिंदी सिनेमा इन भाषाओं के बिना एकदम अधूरा है. मशहूर सिंगर साहिर लुधियानवी, कैफी आजमी ने हिंदी सिनेमा में उर्दू शायरी को खूब लोकप्रिय बना दिया था।
. पंजाबी:
अब क्योंकि उर्दू की बात हुई है, तो पंजाबी को कैसे भूला जा सकता है. न सिर्फ पंजाबी गानों, बल्कि पंजाबी संस्कृति और भाषा का भी बॉलीवुड पर गहरा प्रभाव है. कहानी और गानों में आप लगभग फिल्मों में पंजाबी कला को देखते हैं. फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ आपको याद होगी. जिसमें पंजाबी संस्कृति के बारे में दिखाया गया था.
. बंगाली:
बॉलीवुड को कहानी कहने की शैली और गहराई कहां से मिली? इस सवाल का जवाब होगा बंगाली सिनेमा और साहित्य से. सत्यजीत रे जैसे फिल्ममेकर्स ने भारतीय सिनेमा को ग्लोबल लेवल पर प्रभावित किया है. वहीं, बंगाली गानों को भी कई बार बॉलीवुड में इंस्पिरेशन के तौर पर लिया गया है.
. मराठी:
अब क्योंकि बॉलीवुड मुंबई में ही है, तो मराठी भाषा और संस्कृति का असर भी देखने को मिलता रहा है. दरअसल फिल्मों में मराठी एक्टर्स, राइटर्स लगातार काम कर रहे हैं. खासकर कई मराठी फिल्मों का हिंदी रीमेक बनाया गया है. पर भाषा और संस्कृति तो नहीं बदल सकते. जैसे फिल्म ‘धड़क’ मराठी सिनेमा के प्रभाव को दिखाती है.
. इंग्लिश:
जब बात नए बॉलीवुड की होती है, तो इंग्लिश का प्रभाव भी ज्यादा दिखता है. फिल्मों में हिंग्लिश (हिंदी और इंग्लिश) गाने देखने को मिलते हैं. जैसे- ‘ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा’ या ‘ये जवानी है दीवानी’. इन दोनों फिल्मों के अलावा भी हॉलीवुड की कहानी कहने के तरीके ने बॉलीवुड को प्रभावित किया है।
दरअसल हिंदी सिनेमा में सबसे बड़ा योगदान साउथ का भी रहा है. तमिल, तेलुगु, मलयालम, और कन्नड़ सिनेमा का प्रभाव बॉलीवुड में देखा गया है. हर साल कई साउथ फिल्मों के रीमेक हिंदी में बनते हैं. वहीं कई साउथ फिल्मों को हिंदी में डब भी किया जाता है. जैसे- ‘दृश्यम’, ‘बाहुबली (हिंदी डब) और कबाली. इसके अलावा भोजपुरी, राजस्थानी, और अवधी जैसी लोक भाषाएं भी गानों में सुनने को मिलती रही हैं. जबकि, वहां की कहानियों को भी बड़े पर्दे पर उतारा गया है. यही वजह है कि बॉलीवुड फिल्मों में हिंदी के अलावा कई भाषाओं का इस्तेमाल आम बात है.
ऐसी कई फिल्में हैं, जिनमें आपको अलग-अलग संस्कृति, बोली और भाषाएं सुनने को मिलती रही हैं. हालांकि, सभी योगदान की बदौलत हिंदी सिनेमा को बढ़ावा मिल रहा है. लोगों ने जितना कहानियों को पसंद किया, वहां कि लोकल भाषा ने एक हिस्से को खुद से जोड़ा, तो वहां की संस्कृति ने दूसरे हिस्से को. कहीं भोजपुरी गानों पर पंजाबी नाचते दिखे, तो कहीं पंजाबी गानों का क्रेज. बॉलीवुड कहो या हिंदी सिनेमा… इस इंडस्ट्री को यही सब चीजें खूबसूरत बनाती हैं।
बॉलीवुड के बदलाव पर क्या बोले?
बॉलीवुड में हो रहे बदलाव को करीब से देखने वाले मशहूर पत्रकार चैतन्य पादुकोण ने भी इस पर बात की. वो कहते हैं कि- बॉलीवुड की भाषा सिर्फ हिंदी नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी है. ज्यादातर फिल्मों में हमें हिंदी और उर्दू का एक खूबसूरत मेल देखने को मिलता है. हिंदी फिल्मों में अक्सर इस्तेमाल होने वाले कई शब्द, जैसे ‘इश्क’, ‘मोहब्बत’, ‘जुनून’, ‘फितूर’ और ‘जुबां’ उर्दू से आए हैं. ये शब्द कहानियों को गहराई देते हैं और रोमांटिक सीन को और भी असरदार बनाते हैं.
वहीं आगे कहते हैं- सिर्फ उर्दू ही नहीं, पंजाबी भाषा ने भी बॉलीवुड में अपनी खास जगह बनाई है. कई मशहूर गानों और डायलॉग में पंजाबी शब्दों का इस्तेमाल होता है. जैसे- ‘लौंग दा लश्कारा’, ‘अंबर सरिया’, और ‘आज तेरियां सईयां ने’ जैसे गाने इसी बात का सबूत हैं।
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कोयलांचल लाइव डेस्क
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