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मोदी व अमित साह ने बिहार में प्रवेश करते ही बदल दी एनडीए की तस्वीर
 

9/21/2025 4:39:11 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रही है राजनीतिक दलों में उछल कूद पराकाष्ठा पर है । लोकतांत्रिक परिपेक्ष्य में बिहार का राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग वजूद रही है। यही वजह है की अन्य प्रातों की तुलना में बिहार की जनता चुनाव को लेकर न केवल बिहार बल्कि राष्ट्र के अन्य प्रांत भी जानने में काफी इच्छुक रहते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर परिस्थितियों लगातार बदलती जा रही है। स्थिति यह है कि अंततः राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी पार्टी भाजपा और एनडीए में भी सक्रियता काफी बढ़ गई है। स्थिति यह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर निर्णय लेने के लिए अपनी डेरा डंडी बिहार में ही रखने का निर्णय लिया है। यानि बिहार विधान सभा चुनाव का कोई भी फैसला के लिए दिल्ली जाने के बजाय सब कुछ बिहार में हीं हो जाएगा। भाजपा का यह निर्णय राष्ट्र की दोनों महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों के गठबंधनों के लिए अहम बन गई है। एनडीए की सबसे महत्वपूर्ण दल भाजपा ने खुली मंच से यह घोषणा  कर दी  है कि उनके गठबंधन में कोई खटास नहीं है। उन्होंने दावा किया है कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव का नतीजा भी इस बात को इंगित कर देगा । भाजपा ने स्थिति को देखते हुए बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर निर्णय का बागडोर अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह के हाथ सौंप दी गई है। इधर इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आपस में घमासान के साथ-साथ राजद की परिवार में ही फूट पड़ गई है लालू  यादव का एक पुत्र तेज प्रताप यादव और उसकी बहन ने "एकला चलो "के सिद्धांत पर अलग ही राग अलापना शुरू कर दी है। लेकिन  यह स्थिति किसके लिए हानिकारक और लाभकारी होगा इसका अंदाज़ सहज लगाना मुश्किल है। मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए अपने को प्रधानमंत्री मोदी के हनुमान बताने वाले लोजपा (रामविलास) से  पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व रामविलास पासवानके पुत्र चिराग पासवान की बोली पर भी अचानक विराम लग गई है । साथ ही बिहार में एनडीए के अन्य घटक दल भी साइलेंट जोन में आ गए हैं अर्थात सभी ने  शिष्टाचार के मुद्रा में एक दूसरे को देखना शुरू कर दी  है। साथ ही  सब के सब अपनी पिछली चुनावी परफॉर्मेंस पर भी नजर दौड़ने लगे हैं इस आलोक में कि इस बार कहीं फिर से चाल उल्टी न पड़  जाय और चुनाव के परिणामी मैदान में कहीं पटकनीय लगने का  नुकसान न उठाना पड़े। ऐसे में कल तक बड़े-बड़े सपने देखने वाले एनडीए के घटक दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित साह के बिहार में कदम पड़ते  ही अचानक चुप्पी मोड में आ गए हैं।  अब बिहार में एनडीए में सीट बंटवारे पर तथा अलग लड़ने की मधुर संगीत पर विराम लग गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उम्र के लिहाजन घटक दल जो " मुंगेरीलाल के हसीन सपने" देख रहे थे उनकी स्थिति पर विराम लगी गई है और उम्मीद है यह विराम अब आगे चुनाव तक रहेगी। चुनाव की तिथि घोषणा से पहले ही अचानक बिहार में एनडीए के घटक दल की चुप्पी और दूसरी तरफ "इंडिया गठबंधन" में भूचाल ने सहज संकेत देना शुरू कर दी  है कि इस बार चुनावी पलड़ा  किधर भारी पड़ रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव इस बार बहुत सी नई तस्वीर सामने लाएगा  यह तय है। यानि 'पलटू बाबू' अर्थात नीतीश कुमार के बाद बिहार में सुदर्शन चक्र चलाने वाले कोई नया खिलाड़ी अब तक सामने नहीं आया है। रही बात प्रशांत किशोर की तो अभी तक वह 'वोट कटवा' की स्थिति में भी नहीं आ पायें हैं । इसलिए उनकी और उनकी  छोटी सी दल चुनावी परिदृश्य में बहुत कुछ बनाने और बिगड़ने की स्थिति में भी नहीं पहुंच पायी है। इसलिए  बिहार कि आगामी चुनावी परिदृश्य  से मोटा मोटी साफ है कि एक बार फिर से बिहार में एनडीए की वापसी के आसार बन गए हैं। अगर राजद में फूट नहीं पड़ी और मुस्लिम वोट को लेकर ओवैसी का चाल कामयाब नहीं हुई  तो इस बार सत्ता में आने वाली एनडीए और भी मजबूती के साथ इंडिया गठबंधन पर हावी होगी ऐसा बिश्लेषण राजनीतिक विशेषज्ञों का है। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि चुनाव की तिथि घोषणा से पहले ही बिहार में एनडीए की चकाचैंध  ने सभी को भौंचक कर दिया है। तथा इंडिया गठबंधन में बढ़ी विवाद ने चुनाव मीटर पर परिणाम का संकेत देना शुरू कर दिया है।
 
 
उमेश तिवारी,कोयलांचल लाइव डेस्क