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खेलने के दौरान ढ़ाई साल के मासूम की हुई हार्ट अटैक से मौत
 
पीड़ित परिवार की ऐसी हीं कुछ पारम्परिक इतिहास रही है, डॉक्टर चिंतित    
 

10/6/2025 4:12:02 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Jamshedpur  : मौजूदा दौर में मौत को सिर्फ बहाना चाहिए। सिदगोड़ा में एक ढाई साल के मासूम की हार्ट अटैक से मौत हो जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। सिदगोड़ा में एक ढाई साल के मासूम की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इस घटना से सभी अचंभित है। घटना कुछ इस प्रकार की है मासूम रौनक वीर कुछ बच्चों के साथ खेल रहा था  । खेलते खेलते बिस्तर पर जाकर लेट गया  । परिजनों ने समझा सो रहा  है जब देर तक नहीं उठा  और शरीर ठंडी पड़ गया  तो अस्पताल लेकर भागे वहां पता चला उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई। यह घटना आज दोपहर करीब 12 बजे की है। मां निकिता ने बताया कि रोज की तरह बेटे को नाश्ता करवाने के बाद वह घर के काम में लग गईं। रौनक अपनी बहनों जसकिरत (10) और प्रभकिरत (8) के साथ खेल रहा था। खेलते-खेलते अचानक वह कमरे में आया और पलंग पर लेट गया। कुछ देर बाद जब मां उसे उठाने पहुंचीं, तो वह बिल्कुल शांत पड़ा था। पहले उन्होंने सोचा कि वह सो गया है, लेकिन जब शरीर ठंडा महसूस हुआ तो घबराकर उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया।  जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का हृदय रुक चुका था। परिजनों को विश्वास नहीं हुआ और वे उसे टीएमएच लेकर पहुंचे, लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। रौनक के पिता परविंदर सिंह एक आईटी कंपनी में मैनेजर हैं जिनका रो रो कर बुरा हाल है । जबकि मां निकिता कौर भी बेटे के निधन के बाद बेसुध हो गई हैं। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, क्योंकि कुछ महीने पहले ही रौनक की दादी की भी हार्ट अटैक से मृत्यु हुई थी। दादा राजेंद्र सिंह, जो बारीडीह गुरुद्वारा के पूर्व प्रधान रहे हैं, ने बताया कि पोते की असमय मौत ने उन्हें भीतर तक तोड़ दिया है।यह पहली बार नहीं है जब इतनी कम उम्र में हृदय रुकने की घटना सामने आई हो। 30 मई 2025 को सिदगोड़ा के ही 14 वर्षीय साईं की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। 15 अक्टूबर 2019 को टेल्को शिक्षा निकेतन की एक छात्रा की भी स्कूल में हार्ट अटैक से मौत हुई थी। लगातार बढ़ रहे ऐसे मामले अब डॉक्टरों और अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। 2024 की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में पिछले पांच वर्षों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले 35 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। वहीं, एम्स दिल्ली की एक स्टडी के अनुसार, हर एक लाख बच्चों में दो से चार बच्चे अचानक हृदय रुकने की समस्या का सामना करते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि हर साल दुनिया भर में करीब 12,000 बच्चे कार्डियक अरेस्ट से दम तोड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जन्मजात हृदय दोष, कावासाकी रोग, कोरोनरी धमनी की असामान्यताएं, रक्त का गाढ़ा होना और सीने में गंभीर चोट जैसी स्थितियां बच्चों में हार्ट अटैक की वजह बन सकती हैं।डॉक्टरों का कहना है कि अगर बच्चों में सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना या दूध पीने में परेशानी जैसे लक्षण दिखें, तो इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क