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सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ की थी  विद्रोह 

6/30/2025 1:40:58 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Ranchi  : आज से 170 साल पहले देश पर राज कर रहे अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत जब किसी में नहीं थी, उस दौर में झारखंड के संथाल की धरती के कुछ नायकों ने विद्रोह का बिगुल फूंका था. इसको संथाल हूल क्रांति कहा जाता है. हूल का मतलब होता है 'क्रांति या विद्रोह' और तारीख थी 30 जून 1855.
26 जुलाई को सिदो-कान्हू को दी गई थी फांसी
साहिबगंज के भोगनाडीह में एक गरीब आदिवासी परिवार के घर जन्मे सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो ने अंग्रेजी हुकूमत और महाजनी प्रथा के खिलाफ जंग छेड़ी थी. पंचकठिया में आज भी बरगद का वह पेड़ मौजूद है, जहां 26 जुलाई 1856 को अंग्रेजों ने सिद्धो-कान्हो को फांसी दी थी. अंग्रेजों के खिलाफ हूल का आगाज करने वाले दीवानों को आज पूरा देश नमन कर रहा है.
सीएम हेमंत सोरेन और राज्यपाल ने हूल दिवस पर किया नमन
झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने संदेश में लिखा कि 'हूल दिवस के अवसर पर संथाल विद्रोह के महान सेनानियों सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो व अन्य वीर-वीरांगनाओं को कोटिशः नमन'. ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध उनका संघर्ष एवं गौरवगाथाएं भावी पीढ़ियों को अन्याय के विरुद्ध संघर्ष तथा मातृभूमि की सेवा हेतु सदैव प्रेरित करती रहेंगी.
 
 मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संदेश में लिखा कि 'अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक हूल दिवस पर अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो सहित हजारों वीरों को शत-शत नमन'.
भोगनाडीह में राजकीय कार्यक्रम पर पड़ा असर
दरअसल, हर साल इस खास मौके पर भोगनाडीह में राजकीय कार्यक्रम का आयोजन होता था. इसमें खुद मुख्यमंत्री शिरकत करने जाते थे लेकिन गुरुजी की तबीयत खराब होने की वजह से इस बार भोगनाडीह जाना उनके लिए संभव नहीं हो पाया है. क्योंकि गुरु जी का इलाज दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में चल रहा है. फिलहाल गुरुजी स्वास्थ्य के नाजुक दौर से गुजर रहे हैं.
 चुन्नू मुर्मू और सुनी हांसदा के घर जन्में सिदो- कान्हू, इनके दो छोटे भाई चांद- भैरव और बहन फूलो-झानो की हिम्मत और शौर्य ने संथाल आदिवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ उस दौर में एकजुट किया था, जब लड़ाई के लिए उनके पास सिर्फ तीर धनुष जैसे पारंपरिक हथियार थे. इनकी शहादत को नमन करने के लिए भोगनाडीह में एक पार्क बनाया गया है, जहां इन योद्धाओं और वीरांगनाओं की मूर्तियां लगी हुई हैं.
कोयलांचल लाइव डेस्क