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कम लागत में बेहतर उत्पादन की खेती का मतलब मशरूम उत्पादन, केवीके में 18 से 23 तक चला प्रशिक्षण कैंप

5/24/2025 7:07:47 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : प्रशिक्षणार्थियों ने सीखा बेरोजगारी के मौजूदा दौर में खेती के क्षेत्र में बेहतर लाभ कमाने का एक सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है मशरूम का उत्पादन। झारखंड में मशरूम उत्पादन की ओर दिन प्रतिदिन आकर्षण बढ़ रही है। इसकी महत्वपूर्ण वजह यह है मशरूम खेती कम लागत में भूमिहीन किसानों के लिए आकर्षक विकल्प बन जाता है। इसके प्रति बढ़ती आकर्षण को लेकर ही हाल में धनबाद के कृषि विज्ञान केंद्र
(के वि के) बलियापुर में इसके लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया गया जिसमें काफी संख्या में कृषक जो ज्यादातर युवा युवती थे ने भाग लिया। सभी से बात करने पर यही निष्कर्ष सामने आया कि मशरूम का उत्पादन बेरोजगारी के दूर करने में सबसे बड़ी सहायक है। जरूरी नहीं है की आप कृषक नही भी हो अगर किसी धंधे में भी है तो इस ओर लाभ की दृष्टि से काम कर सकते हैं।  सीमित संसाधन मे महज इसके प्रति आकर्षण ही काफी हो सकती है। यही वजह है कि कृषि विज्ञान केंद्र में चल रही मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम इस धंधे के प्रति लगाव रखने वाले युवक युवतियों की भरमार रही। इस पांच दिवसीय समापन समारोह का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर की गृह विज्ञान की वैज्ञानिक डॉ. सीमा सिंह ने की। समापन समारोह के दौरान आये सभी प्रतिभागियों को ब्रांच  मैनेजर एस बी आई बलियापुर  विनीत कुमार गौतम ने प्रमाणपत्र वितरित किया। समापन के दौरान डॉ. सीमा सिंह ने कहा कि मशरूम एक पौष्टिक एवं बहुउपयोगी खाद्य उत्पाद है, जो आजीविका के लिए एक बेहतर विकल्प बन सकता है।उन्होने बताया कि प्रति 100 gm ताजे मशरूम में प्रोटीन की मात्रा 2.7- 3.9%,  ऊर्जा  24.4- 34.4 कैलोरी कार्बोहाइड्रेट 1.3- 6.2% रेशा 1.6%कैल्शियम विटामिन्स  जैसे बी 1, बी 2, बी 6 तथा  सी & डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।उन्होंने मशरूम का अचार , सूप पाउडर इत्यादि बनाने का प्रायोगिक तौर से सिखाया गया तथा एफ एस एस ए आई FSSAI करने की जानकारी भी दी। समापन समारोह में  कृषि विज्ञान केन्द्र धनबाद के वरिय वैज्ञानिक डॉ राजीव कुमार,  डॉ देवकांत प्रसाद, वैज्ञानिक, फसल उत्पादन, संजय कुमार फार्म मैनेजर, रमन कुमार श्रीवास्तव प्रशिक्षण सहायक, देव प्रकाश शुक्ला, सहायक, काल मुनि रजक, आदि  उपस्थित रहे।
 
 
 
क्या कहा आये प्रशिक्षणार्थियों ने
 
 
सुनीता देवी (सिंदरी ,रांगामटिया ) : मै तो वैसे 2020 से हीं मशरूम उत्पादन के प्रति आकर्षण रखती हूँ। मैने स्नातक कर ली है तथा आय के लिए कुछ अलग हटकर करना चाहती हूँ। मशरूम उत्पादन में कम खर्च पर बेहतर आय हो सकती है। मैने अब तक केवल बटन मशरूम उत्पादन हीं की है। इसीलिए जानकारी मिलने पर यहां प्रशिक्षण लेने आ गई। यहां मशरूम का उत्पादन पर बहुत कुछ सिखने को मिली अब आगे उससे मेहनत करके लाभ कमाना है। 
 
 
रंजन कुमार  (धनबाद ) : मै धनबाद का एक ब्यवसायी हूँ। लेकिन साथ में अतरिक्त ब्यवशाय भी करना चाह रहा हूँ इसके लिए मैने मशरूम को हीं चुना। मशरूम कम लागत बेहतर लाभ में सहायक है। इसके लिए कोई बहुत पुराना अनुभव भी जरूरी नहीं ,यही वजह है कि मशरूम पर अच्छी जानकारी के लिए यहां आ गया। यहां आकर बहुत कुछ सिखने का अवसर मिला। अब आगे उसे आजमाना है देखता हूँ कितनी सफलता मिलती है। लेकिन मै भी इस मामले में पीछे हटने वाला नहीं हूँ। 
 
 
अतुल राज ( धनबाद ) : मै पिछले चार साल से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र ने काम कर रहा हूँ। और बेहतर करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर की जानकारी मिली जिसके बाद यहां आ गया। उन्होंने बताया कि वास्तव में मशरूम कई प्रकार का होता है। इस मौसम में मिल्की मशरूम अधिक चलता है। यहां आने पर  बहुत कुछ अतिरिक्त सिखने का भी अवसर मिला। साथ हीं मशरूम उत्पादन तकनीक भी जानने को मिला। आगे अब इसे सिर्फ आजमाना है।   
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क